राहुल गांधी की नागरिकता स्पष्ट करें
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब
फिर बाहर आया बोफोर्स घोटाले का पिशाच
लखनऊ, 25 मार्च (एजेंसियां)। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की दोहरी नागरिकता के मसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से चार सप्ताह के भीतर जानकारी देने को कहा है। आरोप है कि राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की नागरिकता है और यह सवाल कई वर्षों से चर्चा में हैं। इसी मुद्दे पर एक जनहित याचिका दाखिल की गई है। इस मामले में हाईकोर्ट में अगली सुनवाई 21 अप्रैल को होगी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव-प्रथम की खंडपीठ ने यह आदेश कर्नाटक के सामाजिक कार्यकर्ता एस विगनेश शिशिर की याचिका पर दिया। याची ने राहुल गांधी की ब्रिटिश नागरिकता मामले में सीबीआई जांच की मांग भी की थी। इससे पहले हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को राहुल गांधी की नागरिकता मामले में कार्रवाई का ब्यौरा पेश करने के लिए 24 मार्च तक का समय दिया था। पहले, कोर्ट ने केंद्र से पूछा था कि याचिकाकर्ता के प्रत्यावेदन पर क्या कार्रवाई की गई है।
दूसरी तरफ, भारत जोड़ो यात्रा के दौरान सैनिकों पर विवादास्पद टिप्पणी करने के मामले में आरोपी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी की ओर से कोर्ट में उनके वकील ने वकालतनामा लगाया। एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष एसीजेएम आलोक वर्मा ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 29 अप्रैल की तारीख तय की है। सीमा सड़क संगठन के सेवानिवृत्त निदेशक कर्नल उदय शंकर श्रीवास्तव की ओर से वकील ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का परिवाद दायर किया था। उन्होंने बताया था कि 16 दिसंबर 2022 को राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान पदयात्रा के दौरान नौ दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर भारतीय सेना और चीनी सेना के बीच हुई झड़प का जिक्र करते हुए कहा कि लोग भारत जोड़ो यात्रा के बारे में क्या-क्या पूछेंगे, लेकिन चीनी सैनिकों द्वारा हमारे सैनिकों की पिटाई के बारे में एक बार भी सवाल नहीं पूछेंगे। इस मामले में सुनवाई के बाद कोर्ट ने राहुल गांधी को बतौर आरोपी तलब किया गया था।
उधर, बोफोर्स घोटाला भी एक बार फिर चर्चा में है। भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने इस घोटाले को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा और राहुल गांधी और सोनिया गांधी से उनके इस्तीफे की मांग की है। गौरव भाटिया ने बोफोर्स घोटाले को लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सोनिया गांधी और राहुल गांधी से सवाल किया। उन्होंने कहा कि सोनिया और राहुल को तब तक अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए, जब तक वे ओटावियो क्वात्रोची नामक व्यापारी और उनके परिवार के साथ अपने संबंधों का पूरी तरह से खुलासा नहीं करते।
गौरव भाटिया ने ये भी दावा किया कि 1984 से 1988 के बीच इटली में भारत के राजदूत ने यह बयान दिया था कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का क्वात्रोची परिवार से बहुत करीबी संबंध था और वे इस घोटाले के मुख्य सूत्रधार थे। इसके अलावा, तत्कालीन सीएजी ने भी यह कहा था कि बोफोर्स तोपों की खरीद में मूल्यांकन में गंभीर खामियां थीं।
बीते पांच मार्च को मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अमेरिका को न्यायिक अनुरोध भेजकर निजी जांचकर्ता माइकल हर्शमैन से बोफोर्स मामले में जानकारी मांगी थी। हर्शमैन ने 64 करोड़ रुपए के बोफोर्स रिश्वत मामले के बारे में अहम जानकारी भारतीय एजेंसियों के साथ साझा करने की इच्छा जताई थी। फेयरफैक्स ग्रुप के प्रमुख हर्शमैन 2017 में निजी जासूसों के एक सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भारत आए थे। इस दौरान उन्होंने विभिन्न प्लेटफॉर्म पर आरोप लगाया था कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने घोटाले की जांच को पटरी से उतार दिया था। उन्होंने कहा था कि वह सीबीआई के साथ जानकारी साझा करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने एक इंटरव्यू में दावा किया था कि उन्हें 1986 में केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने विदेशों में भारतीयों की ओर से मुद्रा नियंत्रण कानूनों के उल्लंघन और मनी लॉन्ड्रिंग की जांच व भारत के बाहर ऐसी संपत्तियों का पता लगाने के लिए नियुक्त किया गया था। इनमें से कुछ बोफोर्स सौदे से संबंधित थे।
बोफोर्स घोटाला तब सामने आया था जब भारत सरकार ने 155 मिमी बोफोर्स तोपों की खरीद के लिए 1986 में स्वीडन की बोफोर्स कंपनी के साथ समझौता किया था। इस घोटाले में मुख्य आरोप यह था कि बोफोर्स कंपनी ने भारतीय नेताओं और अधिकारियों को भारी रिश्वत दी थी ताकि वे इस सौदे को स्वीकृत कर सकें। साथ ही तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और उनकी पत्नी सोनिया गांधी के करीबी दोस्त माने जाने वाले क्वात्रोच्चि पर इस सौदे में बिचौलिए की भूमिका निभाने का आरोप लगा था। इसके फलस्वरूप विपक्षी दलों ने कांग्रेस पर इस घोटाले को लेकर खुब निशाना साधा। खासकर सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर आरोप लगाए थे कि उनका बोफोर्स कंपनी के साथ गहरे रिश्ते थे।