विरोध के बहाने नफरत फैलाने का कुचक्र : पाल
वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ दिल्ली में प्रदर्शन
नई दिल्ली, 17 मार्च (एजेंसियां)। वक्फ संशोधन विधेयक के नाम पर एक बार फिर शाहीनबाग षडयंत्र दोहराने की तैयारी है। भारत को दूसरा बांग्लादेश बनाने के सुनियोजित कुचक्र के तहत यह घेरेबंदी की जा रही है। लोगों को लग रहा है कि वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर विपक्षी पार्टियां सियासत कर रही हैं, जबकि असलियत यह है कि सियासत नहीं बल्कि साजिश हो रही है। वोट साधने और सत्ता साधने के लिए वक्फ बोर्ड का बहाना बनाया जा रहा है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा किए गए विरोध पर जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा कि मुस्लिम संगठन के इस रुख से विभाजन पैदा होगा और संसद में कानून बनाने के संवैधानिक अधिकार के समक्ष बाधाएं पैदा की जाएंगी।
जेपीसी अध्यक्ष ने खुलासा किया कि पर्सनल लॉ बोर्ड को सुझाव देने के लिए समिति के समक्ष बुलाया गया था और उनकी सभी चिंताओं का निराकरण किया गया था। मुस्लिम संगठन की चिंताओं को हमने अपनी रिपोर्ट में भी शामिल किया था। फिर अब ये जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन क्यों? तमाम संशोधनों के बाद हम एक बेहतर कानून बनने जा रहे हैं। इससे गरीबों, महिलाओं, विधवाओं और बच्चों को भी प्रस्तावित वक्फ कानून का लाभ मिलेगा। जगदंबिका पाल ने यह भी आरोप लगाया कि सारी चीजों को जानने और समझने के बाद भी अगर पर्सनल लॉ बोर्ड प्रदर्शन कर रहा है तो ये देश को नफरत की आग में झोंकने और संसद के कानून बनाने के अधिकार को चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसा करके मुस्लिम संगठन लोगों को भ्रमित करके उनके बीच मतभेद पैदा करने की साजिश रच रहा है। उसका ये कदम बिल्कुल भी लोकतांत्रिक नहीं है।
उल्लेखनीय है कि देशभर में व्यापक पैमाने पर वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर विभिन्न मुस्लिम समुदायों और लोगों से चर्चा और सुझावों के बाद इसी साल जनवरी के आखिर में जेपीसी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें बताया गया था कि देशभर से वक्फ बिल में कुल 572 संशोधन सुझाए गए थे। इसमें से 14 संशोधनों को जेपीसी ने मंजूर किया था। जेपीसी अध्यक्ष ने एक बयान में बताया था कि कुल 44 संशोधनों पर विस्तार से चर्चा हुई थी। केंद्र सरकार वक्फ बो्र्ड कानून में उचित बदलाव कर इस तरह के विवादों को हमेशा के लिए समाप्त करना चाहती है। बदलावों में वक्फ की कमेटी में उचित लोगों को जगह देकर वक्फ की संपत्तियों को उचित तरीके से देखभाल करना और इसका लाभ आम मुसलमानों तक पहुंचाना शामिल है।
मुस्लिम संगठन ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने प्रस्तावित वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ आज दिल्ली के जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया। विरोध प्रदर्शन में शामिल मुसलमानों ने इसे उनकी धार्मिक आजादी में सरकार का हस्तक्षेप बताया। मुसलमान नेताओं ने केंद्र सरकार से वक्फ संशोधन बिल वापस लेने की मांग की है। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यदि सरकार इसे वापस नहीं लेती है तो वे पूरे देश में सीएए-एनआरसी जैसा विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। तो क्या एक बार फिर पूरे देश में शाहीन बाग जैसे धरने-प्रदर्शन देखने को मिल सकते हैं? प्रदर्शनकारियों ने इसी तरह के तेवर दिखाए हैं। भाजपा ने कहा है कि यह संसद की कानून बनाने की संवैधानिक शक्ति को संख्या बल के आधार पर दी जा रही चुनौती है। इसे किसी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि वक्फ बिल आम मुसलमानों के हित में है। लेकिन कुछ राजनीतिक दल जिस तरह से इस मुद्दे पर मुसलमानों को भरमाने की कोशिश कर रहे हैं, वह सही नहीं है। इन लोगों को मुसलमानों के मन से भ्रम दूर करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके पहले सीएए-एनआरसी के मामले में भी मुसलमानों को भ्रमित किया गया था, जबकि इसमें किसी की नागरिकता छीनने जैसी कोई बात नहीं कही गई थी, लेकिन इसके बाद भी आम मुसलमानों को इस मुद्दे पर भ्रमित कर पूरे देश में विरोध प्रदर्शन किए गए। आज के बयान एक बार फिर उसी तरह का इशारा कर रहे हैं।
ऑल इंडिया मुस्लिम सिविल राइट्स के चेयरमैन मोहम्मद अदीब ने वक्फ बिल पास करने पर हश्र देख लेने की धमकी दी है। पूनावाला ने कहा कि यह सर तन से जुदा वाले अंदाज में वक्फ संशोधन बिल के चेयरमैन जगदंबिका पाल को दी गई धमकी है। उन्होंने कहा कि इस तरह की मानसिकता वाले लोगों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।