अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार

 अमेरिका के टैरिफ युद्ध का भारत पर कोई असर नहीं

अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार

चीन से व्यापार घाटा बढ़कर 99.2 अरब डॉलर हुआ

नई दिल्ली, 16 अप्रैल (एजेंसियां)। अमेरिका लगातार चौथे साल वर्ष 2024-25 में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना रहा। इस दौरान दोनों देशों के बीच 131.84 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ। हालांकिइस अवधि में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा बढ़कर 99.2 अरब डॉलर पर पहुंच गया।

पिछले वित्त वर्ष में चीन को भारत का निर्यात 14.5 प्रतिशत घटकर 14.25 अरब डॉलर रह गया। 2023-24 में यह आंकड़ा 16.66 अरब डॉलर था। हालांकि, 2024-25 में भारत का चीन से आयात 11.52 प्रतिशत बढ़कर 113.45 अरब डॉलर हो गयाजबकि 2023-24 में यह 101.73 अरब डॉलर था। चीन के साथ व्यापार घाटा पिछले वित्त वर्ष में लगभग 17 प्रतिशत बढ़कर 99.2 अरब अमेरिकी डॉलर हो गयाजो 2023-24 में यह आंकड़ा 85.07 अरब डॉलर था। चीन 2024-25 में 127.7 अरब डॉलर के दो तरफा कारोबार के साथ भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा। 2023-24 में दोनों देशों के बीच 118.4 अरब डॉलर का कारोबार हुआ था। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2013-14 से 2017-18 तक और 2020-21 में चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था। चीन से पहलेसंयुक्त अरब अमीरात देश का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था।

2021-22 से अमेरिका भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है। पिछले वित्त वर्ष के दौरान, 100.5 अरब डॉलर के साथ यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा। बीते वित्त वर्ष में अमेरिका को भारत का निर्यात 11.6 प्रतिशत बढ़कर 86.51 अरब डॉलर हो गयाजबकि 2023-24 में यह 77.52 अरब डॉलर था। 2024-25 में भारत का अमेरिका से आयात 7.44 प्रतिशत बढ़कर 45.33 अरब डॉलर हो गयाजबकि 2023-24 में यह 42.2 अरब डॉलर था। अमेरिका के साथ व्यापार अधिशेष पिछले वित्त वर्ष में 41.18 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंच गया हैजो 2023-24 में 35.32 बिलियन अमरीकी डॉलर था।

2024 मेंअमेरिका भारत ने जिन प्रमुख चीजों का निर्यात किया उनमें औषधि निर्माण और जैविक (8.1 अरब डॉलर)दूरसंचार उपकरण (6.5 अरब डॉलर)कीमती और अर्ध-कीमती पत्थर (5.3 अरब डॉलर)पेट्रोलियम उत्पाद (4.1 अरब डॉलर)सोना और अन्य कीमती धातु के आभूषण (3.2 अरब डॉलर)सहायक उपकरण सहित सूती तैयार वस्त्र (2.8 अरब डॉलर)और लोहा और इस्पात के उत्पाद (2.7 अरब डॉलर) शामिल हैं। आयात के प्रमुख उत्पादों में कच्चा तेल (4.5 अरब डॉलर)पेट्रोलियम उत्पाद (3.6 अरब डॉलर)कोयलाकोक (3.4 अरब डॉलर)कटे और पॉलिश किए हुए हीरे (2.6 अरब डॉलर)इलेक्ट्रिक मशीनरी (1.4 अरब डॉलर)विमानअंतरिक्ष यान और उसके पुर्जे (1.3 अरब डॉलर) और सोना (1.3 अरब डॉलर) शामिल है।

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आने वाले वर्षों में भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार में तेजी आने की उम्मीद है क्योंकि दोनों देश एक कारोबारी समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। इसका मकसद 2030 तक वस्तुओं और सेवाओं में दो तरफा वाणिज्य को वर्तमान 191 अरब डॉलर से बढ़ाकर 500 अरब डॉलर करना है।

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दुनियाभर में छिड़े टैरिफ युद्ध का भारत और अमेरिका की व्यापारिक साझेदारी पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। यह ग्राफ लगातार बढ़ ही रहा है। इसे देखर बौखलाए चीन ने भारत के साथ अपने संबंध सुधारने की पहल तेज कर दी है। पिछले दिनों चीन ने टैरिफ-युद्ध का मुकाबला करने के लिए भारत से भी सहयोग मांगा था। इसे और प्रगाढ़ करते हुए चीन ने भारतीयों को वीज़ा देने का सिलसिला भी तेज कर दिया है। भारत स्थित चीन के दूतावास ने इस साल 9 अप्रैल तक 85 हजार भारतीय नागरिकों को वीजा दिया है। दोनों देशों के बीच लोगों के लोगों से संबंधों को बेहतर करने की दिशा में यह अहम कदम है। भारत में चीन के राजदूत शू फेहोंग ने बताया कि इस साल 9 अप्रैल 2025 तक चीनी दूतावास ने भारतीय नागरिकों को 85 हजार से ज्यादा वीजा जारी किए हैं। चीन में और भारतीय दोस्तों का स्वागत करेंगे ताकि वे चीन में खुलेसुरक्षितवाइब्रेंट और मित्रवत माहौल का अनुभव कर सकें।

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गौरतलब है कि चीन की सरकार ने भारतीय नागरिकों के लिए कई छूट शुरू की हैंजिनके तहत भारतीय आवेदक बिना किसी पूर्व ऑनलाइन अपॉइंटमेंट के कार्य दिवसों में सीधे वीजा केंद्र पर आवेदन जमा कर सकते हैं। साथ ही थोड़े समय के लिए चीन की यात्रा करने वाले नागरिकों को बायोमेट्रिक डेटा देने से भी छूट दी गई है। चीन ने वीजा शुल्क भी कम कर दिया है और काफी कम दर पर चीन का वीजा प्राप्त किया जा सकता है। इससे भारतीयों के लिए चीन की यात्रा किफायती भी हो गई है। चीन भारतीय पर्यटकों को भी लुभाने की कोशिश कर रहा है और अपने प्रमुख त्योहारों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का खूब प्रचार कर रहा है।

डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया के कई देशों पर भारी-भरकम टैरिफ लगाए हैंलेकिन उनकी चीन पर खासी टेढ़ी नजर है। यही वजह है कि ट्रंप ने चीन पर 150 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। इससे चीन के उत्पादअमेरिका में दोगुने महंगे हो गए हैं। ऐसे में चीन अब भारत के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को बढ़ाने पर जोर दे रहा है। चीनी दूतावास के प्रवक्ता यू जिंग ने कहा है कि भारत और चीन के व्यापारिक संबंध पूरकता औऱ पारस्परिक लाभ पर आधारित हैं। अमेरिका के टैरिफ के दुरुपयोग का सामना करने के लिए दो विकासशील देशों को साथ खड़ा होना चाहिए।

हालांकि भारत और चीन के कूटनीतिक संबंध चुनौतियों से भरे हुए हैं। खासकर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चल रहे सैन्य गतिरोध से दोनों देशों के रिश्तों में तनाव हैलेकिन अब लग रहा है कि चीन को भी भारत की अहमियत का अंदाजा हो गया है। तभी चीन की सरकार भारत के साथ अपने संबंधों को बेहतर करने की कवायद कर रही है। इसके लिए लोगों के लोगों से रिश्ते मजबूत करने की कोशिश हो रही है।

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