हिंसा फैलाने में बांग्लादेशी उपद्रवियों का इस्तेमाल
वक्फ कानून के खिलाफ बंगाल में हुई हिंसा के अहम सुराग मिले
सैकड़ों हिंदू परिवार बंगाल से भाग कर झारखंड पहुंचे
नई दिल्ली/कोलकाता, 15 अप्रैल (एजेंसियां)। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून को लेकर हुई हिंसा में बांग्लादेशी उपद्रवियों को जरिया बनाया गया। बांग्लादेशी उपद्रवियों को सामने रख कर पश्चिम बंगाल को सांप्रदायिक हिंसा की आग में झोंकने की साजिश की गई। खुफिया एजेंसियों को प्राथमिक जांच में ही कई महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगे हैं। बंगाल पुलिस ने अब तक 210 लोगों को गिरफ्तार किया है। वक्फ कानून के विरोध में शुरू हुई हिंसा में कम से कम तीन लोग मारे गए। हजारों परिवार को पलायन के लिए विवश होना पड़ा। हिंदुओं की लाखों की सम्पत्ति का नुकसान हुआ है और उनके घर और दुकानें आग के हवाले कर दी गईं।
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में नए वक्फ कानून को लेकर लेकर भड़की हिंसा के मामले में गृह मंत्रालय को शुरुआती जांच की जानकारी दी गई है। हिंसा में बांग्लादेशी उपद्रवियों के शामिल रहने के बाद में गृह मंत्रालय को बताया गया है। हिंसा के बाद जंगीपुर, धुलियान, सुती और शमशेरगंज जैसे संवेदनशील इलाकों में बीएसएफ, सीआरपीएफ, राज्य सशस्त्र पुलिस और आरएएफ के जवान तैनात किए गए हैं। तनाव के बीच बीएसएफ के वरिष्ठ अधिकारी रवि गांधी ने प्रभावित इलाकों का दौरा किया और राज्य पुलिस के साथ मिलकर इलाके में गश्त बढ़ाने और कानून व्यवस्था बनाए रखने की रणनीति पर चर्चा की।
दक्षिण 24 परगना जिले के भांगर इलाके में भी वक्फ अधिनियम को लेकर हिंसा हुई। इंडियन सेकुलर फ्रंट (आईएसएफ) के समर्थकों ने पुलिस के साथ झड़प की, जिसमें कई लोग घायल हो गए। कुछ पुलिस वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया और सार्वजनिक सम्पत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया। पुलिस ने आईएसएफ समर्थकों को उनके नेता और विधायक नौशाद सिद्दीकी की रैली में शामिल होने से रोकने की कोशिश की, जिसके चलते हिंसक झड़प हुई।
उल्लेखनीय है कि इस्लामी कट्टरपंथियों ने मुर्शिदाबाद में वृद्ध हरिगोविन्द दास और उनके बेटे की चाकुओं से गोदकर हत्या कर दी थी। उनका परिवार भाग कर बड़ी मुश्किल से बंगाल सीमा पर झारखंड क्षेत्र में पहुंचा है। चंदन दास का परिवार एक एम्बुलेंस में छुप कर झारखंड पहुचा। चंदन दास के भतीजे हृदय दास के साथ 12 और लोग इस एम्बुलेंस में छुप कर साहिबगंज पहुंचे है।
पश्चिम बंगाल में वक्फ कानून के विरोध में हुई इस्लामी हिंसा के चलते हिंदुओं का पलायन जारी है। बड़ी संख्या में हिंदू पश्चिम बंगाल से भाग कर झारखंड पहुंचे हैं। यह लोग इस्लामी कट्टरपंथियों से बचने के लिए अपने रिश्तेदारों के यहां भाग गए हैं। कई लोग बचने के लिए एम्बुलेंस आदि में छुपते हुए मुर्शिदाबाद से भागे हैं। झारखंड भागने वालों में हिंसा के दौरान मारे गए चन्दन दास के परिवार के लोग भी शामिल हैं। झारखंड के साहिबगंज, राजमहल और पाकुड़ समेत बाकी सीमाई इलाकों में बड़ी संख्या में हिंदू भाग कर आ रहे हैं।
मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा के चलते भाग कर पहुंची लिली मंडल ने बताया कि उनके यहां इस्लामी कट्टरपंथी गले पर धारदार हथियार रखते हैं। इसके बाद वह घरों में लूटपाट करते हैं। पीड़िता कल्पना साहा ने बताया है कि उनके घर में बेटियां हैं इसलिए सुरक्षा के चलते वह हिंसा के बाद भाग कर झारखंड आई हैं जहां उनके पिता का घर है। कल्पना ने बताया कि कट्टरपंथियों की हिंसा के चलते वह छुपने को भी मजबूर थे। एक और पीड़ित मौमिता मंडल ने बताया है कि बीएसएफ ने आने के बाद कई लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया है। एक और युवक ने बताया कि कट्टरपंथियों ने इतनी लूटपाट की है कि वह लोग सहम गए हैं।
सबसे अधिक लोग मुर्शिदाबाद के धुलियान, सूती और शमशेरगंज से भागे हैं। धुलियान और शमशेरगंज के कई लोगों ने अपने घर की महिलाओं को भी रिश्तेदारों के यहां भेज दिया है। उन्होंने सुरक्षित रास्ते से रिश्तेदारों के यहां पहुंचाया है। पाकुड़ के अलावा राजमहल में भी बड़ी संख्या में परिवार पहुंचे हैं। इन्होने अपने जान परिचय वालों के यहां शरण लिए हैं। लगभग 170 परिवार झारखंड के राजमहल इलाके में मुर्शिदाबाद से पलायन करके पहुंचे हैं। पलायन करके झारखंड पहुंचे लोगों ने बताया है कि इस्लामी कट्टरपंथियों का उद्देश्य सिर्फ हिंदुओं को लूटना-मारना और महिलाओं के साथ दुराचार करना है। पलायन करने वालों में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जिनके घर दुकान जलाए गए हैं।
मुर्शिदाबाद से झारखंड पहुंचने वाले लोगों ने बताया है कि उन्हें अब बंगाल पुलिस पर भरोसा नहीं है और वहां वह सुरक्षित महसूस नहीं करते। लोग अपना सामान और घरबार छोड़ कर भागे हैं। पलायन करने वालों में एक भाजपा नेता का परिवार भी है। भाजपा नेता के भाई की दुकान पर हमला हुआ है। मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा के बाद बड़ी संख्या में हिंदू अलावा बंगाल के ही मालदा भी पहुंचे हैं। इनमें से कई लोगों ने नदी पार करके मालदा के स्कूलों में शरण ली है। मालदा का परलालपुर इस समय सबसे बड़ा शरणार्थी कैम्प बन गया है। इसमें वर्तमान में 400-500 लोग रुके हुए हैं। यह सभी इस्लामी कट्टरपंथियों की हिंसा के बाद भागे हैं। यहां पहुंची एक पीड़ित ने बताया है कि उनके पास बस अब वही कपड़े बचे हैं, जो उन्होंने पहन कर रखे हैं। पीड़ित महिला ने बताया कि वह अपनी ही जमीन में शरणार्थी बन गए हैं।
पीड़ितों ने कहा है कि वह अब बीएसएफ का स्थायी कैम्प अपने इलाके में चाहते हैं। परलालपुर में पहुंचने वालों लोगों में से कई के घर जला दिए गए हैं। अब उन्हें इस स्कूल में स्थानीय लोग खाना खिला रहे हैं। उन्हें स्कूल के भीतर एक रसोई में खाना बना कर खिलाया जा रहा है, कपड़ो के लिए भी पलायन कर चुके हिंदू स्थानीय लोगों पर निर्भर हैं। शरणार्थी कैम्प में रुकी एक और हिंदू महिला ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। पीड़िता ने मुर्शिदाबाद में हिंदू महिलाओं को दी जाने वाली धमकियों को याद करते हुए बताया, हमारे (मुसलमानों) द्वारा बलात्कार करवाओ, हम तुम्हारे पतियों और बच्चों को छोड़ देंगे। उसने कहा, यह हमारी स्थिति है। मैं आपको और क्या बताऊं? ऐसी परिस्थितियों में हम घर कैसे लौट सकते हैं? और हम और कहां जाएंगे?
मुर्शिदाबाद में हिंदू हरगोविंद दास और चंदन दास की हत्या करने वाले इस्लामी कट्टरपंथियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। इनका नाम कालू नदाब और दिलदार नदाब है। यह दोनों भाई हैं। इन्होंने मुर्शिदाबाद में दोनों को घर से खींच कर मार दिया था। दोनों की चाकू मारकर हत्या की गई थी। यह लोग मूर्तियां बनाने का काम करते थे। इनकी हत्या के आरोप में पकड़े गए दोनों लोग भाई हैं। इनमें से एक बांग्लादेश सीमा से पकड़ा गया है।