वक्फ संशोधन विधेयक संविधान की भावना के अनुरूप
इसी सत्र में पेश होगा वक्फ संशोधन विधेयक : अमित शाह
नई दिल्ली, 29 मार्च (एजेंसियां)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि संसद के वर्तमान बजट सत्र में वक्फ संशोधन विधेयक को फिर से पेश किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित कानून से किसी को भी डरने की जरूरत नहीं है। सरकार संविधान के दायरे में अधिनियम में संशोधन कर रही है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि अगस्त 2024 में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया वक्फ संशोधन विधेयक संसद के वर्तमान बजट सत्र में फिर से पेश किया जाएगा। उन्होंने कहा, हम इसी सत्र में वक्फ विधेयक पेश करेंगे। बता दें कि बजट सत्र 4 अप्रैल को समाप्त हो जाएगा।
अमित शाह ने कहा कि प्रस्तावित कानून से किसी को भी डरने की जरूरत नहीं है। नरेंद्र मोदी सरकार संविधान के दायरे में वक्फ अधिनियम में संशोधन कर रही है। उन्होंने कहा, विपक्ष मुसलमानों को गुमराह कर रहा है। मुसलमानों के किसी भी अधिकार पर अंकुश नहीं लगाया जाएगा। वे सिर्फ झूठ बोल रहे हैं। मौजूदा कानून में संशोधन करना आवश्यक था, क्योंकि मूनल कानून तुष्टीकरण की राजनीति के कारण बनाया गया था। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस ने वक्फ अधिनियम में ऐसे नियम बनाए जो संविधान की भावना के अनुरूप नहीं थे। उन्होंने कहा, हमने वक्फ विधेयक को संविधान के दायरे में रखा है, जबकि कांग्रेस ने अपने राजनीतिक लाभ के लिए कानून को तोड़-मरोड़ कर पेश किया।
अमित शाह ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार इस तरह से काम कर रही है कि कानून को अदालतों में चुनौती दी जा सके। उन्होंने कहा कि कोई भी विधेयक संविधान की भावना से ऊपर नहीं हो सकता। शाह ने उदाहरण देते हुए कहा कि हमारे द्वारा बनाए गए कानून, जैसे नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए), संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म करने के लिए संसद के फैसले को भी अदालतों में चुनौती दी गई। वक्फ बोर्ड ने दिल्ली में 123 प्रमुख स्थानों को वक्फ संपत्ति घोषित किया है। प्रयागराज में ऐतिहासिक चंद्रशेखर आजाद पार्क को भी वक्फ संपत्ति घोषित किया गया है, जहां आजाद ने अपना बलिदान दिया था। कांग्रेस द्वारा बनाए गए मौजूदा कानून के अनुसार, इन फैसलों को अदालतों में चुनौती नहीं दी जा सकती।
विधेयक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन पर गृह मंत्री ने कहा कि सभी को विरोध करने का अधिकार है। किसी भी विवाद को अदालतों में चुनौती दी जा सकती है। उन्होंने कहा, वे विरोध करने के लिए स्वतंत्र हैं। यदि विधेयक संविधान के दायरे में नहीं है, तो इसे अदालतों में चुनौती दी जा सकती है। वहीं इसी कार्यक्रम में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि टैक्सी सेवा सरकार नहीं बल्कि सहकारी संगठन चलाएगा। उन्होंने कहा कि एक सहकारी संगठन बनाया जाएगा जो यह टैक्सी सेवा प्रदान करेगा। इसका लाभ सीधे ड्राइवरों को मिलेगा। यह सहकारिता की भूमिका है, सरकार की नहीं। सरकार किसी भी तरह का व्यापार नहीं करेगी।