रान्या राव की मासूम बनने की एक्टिंग की डीआरआई ने खोली पोल!

दुबई में गोल्ड कंपनी चलाने का राज खुला

रान्या राव की मासूम बनने की एक्टिंग की डीआरआई ने खोली पोल!

बेंगलुरु 18 मार्च (एजेंसी)। सोने की तस्करी मामले में मुख्य आरोपी रान्या राव ने खुद को बेकसूर बताया है। उन्होंने कहा है कि वो तो बस एक ‘कैरियर’ थीं और दबाव में काम कर रही थीं, लेकिन राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) की जांच में ये बातें झूठी साबित हुई हैं। डीआरआई को पता चला है कि रान्या एक बड़े तस्करी गिरोह का हिस्सा थीं और ये गिरोह कई सालों से काम कर रहा था. डीआरआई के मुताबिक, रान्या और उनके साथी आरोपी तरुण राज कोंडुरु दुबई में ‘वीरा डायमंड्स ट्रेडिंग एलएलसी’ नाम की एक सोने की कंपनी चलाते थे। दोनों कॉलेज के दिनों से एक-दूसरे को जानते थे और 2023 में उन्होंने बिजनेस पार्टनर बनकर ये कंपनी शुरू की थी।

इस मामले में दूसरे नंबर के आरोपी कोंडुरु रान्या की तरफ से सारा काम देखते थे। कोंडुरु से पूछताछ में डीआरआई को पता चला कि रान्या अपने परिवार के लोगों की मदद से सोने का बिजनेस विदेशों तक फैला रही थीं। रान्या के बैंकॉक और जिनेवा में बड़े-बड़े ग्राहक थे। वो दोहा और जिनेवा से सोने की छड़ें खरीदती थीं और दुबई के खातों से विदेशी मुद्रा में पेमेंट करती थीं। डीआरआई अब इन विदेशी लेनदेन और कस्टम घोषणाओं की जांच कर रही है. इससे पता चलेगा कि तस्करी कितने बड़े पैमाने पर हो रही थी।

ऐसे होती थी तस्करी
कर्नाटक पुलिस में डीजीपी रान्या के पिता रामचंद्र राव से भी डीआरआई पूछताछ कर सकती है. इस मामले में नाम आने के बाद कर्नाटक सरकार ने उन्हें ‘अनिवार्य अवकाश’ पर भेज दिया है। डीआरआई सूत्रों के मुताबिक, प्लान ये था कि पहले दुबई में सोना मंगाया जाए। फिर वहां निवेश किया जाए और आखिर में सोने को भारत भेजा जाए. रान्या ने एचडीएफसी बैंक खाते से कंपनी में 8-10 लाख रुपये लगाए थे। सूत्रों का कहना है कि रान्या को इस निवेश की वजह से दुबई का निवास कार्ड मिला। इससे उन्हें यूएई में बिना वीजा के आने-जाने की सुविधा मिल गई और सोने की खेप भेजना आसान हो गया।

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