पाकिस्तान ने हमेशा से धोखाबाज है : मोदी

एआई रिसर्चर लेक्स फ्रिडमैन के साथ तीन घंटे का पॉडकास्ट में बोली प्रधानमंत्री

पाकिस्तान ने हमेशा से धोखाबाज है : मोदी

नयी दिल्ली/वाशिंगटन 16 मार्च (एजेंसी) । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पाकिस्तान पर तंज कसते हुए कहा कि वहां (इस्लामाबाद) से हमेशा धोखा ही मिला।

श्री मोदी ने कहा,“शपथ समारोह में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को बुलाया था, लेकिन शांति की हर कोशिश के बदले दुश्मनी ही मिली। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के लोग शांति चाहते हैं। हम आशा करते हैं कि पाकिस्तान को एक दिन सद्बुद्धि आएगी और वह शांति का रास्ता अपनाएगा।”

श्री मोदी ने रविवार को रिलीज हुए अमेरिकन कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) रिसर्चर लेक्स फ्रिडमैन के साथ तीन घंटे का पॉडकास्ट (इंटरव्यू) में इस आशय की बात कही। प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान, चीन, ट्रम्प, विश्व राजनीति, खेल, राजनीति और आरएसएस समेत निजी जीवन से जुड़े सवालों के जवाब दिए।

लेक्स फ्रिडमैन का जन्म रूस के चकालोव्स्क में 15 अगस्त 1983 को हुआ था। सोवियत संघ के बिखरने के बाद उनका परिवार अमेरिका के शिकागो आ गया था। उन्होंने अमेरिका में ही इलेक्ट्रिकल और कंप्यूटर इंजीनियरिंग में पीएचडी की है। वह अब एआई रिसर्चर हैं।

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फ्रिडमैन अपने पॉडकास्ट में अमेरिकन प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प, टेस्ला सीईओ एलन मस्क, मेटा सीईओ मार्क जुकरबर्ग, अमेजन सीईओ जेफ बेजोस, ओपन एआई सीईओ सेम ऑल्टमैन, यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदीमीर जेलेंस्की और इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के भी इंटरव्यू कर चुके हैं।

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श्री मोदी ने कहा कि पाकिस्तान पर पाकिस्तान के लोग आतंक में रहने से थक गए होंगे 2014 में मैं जब पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाला था तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को विशेष रूप से आमंत्रित किया था। उम्मीद थी कि दोनों देश एक नया अध्याय शुरू करेंगे। हालांकि शांति का हर नेक प्रयास का सामना दुश्मनी और विश्वासघात से हुआ। पाकिस्तान के लोग शांति चाहते हैं। वे भी संघर्ष, अशांति और निरंतर आतंक में रहने से थक गए होंगे।

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श्री मोदी ने चीन के बारे में पूछे जाने पर कहा,“भारत-चीन को प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए, टकराव नहीं राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ मेरी बैठक के बाद हमने सीमा पर सामान्य स्थिति की वापसी देखी है। हम 2020 से पहले के स्तर पर स्थितियों को बहाल करने के लिए काम कर रहे हैं। विश्वास में समय लगेगा, लेकिन हम बातचीत के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने संघर्ष के बजाय स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की आवश्यकता पर भी जोर दिया। 21वीं सदी एशिया की सदी है। भारत और चीन को स्वाभाविक रूप से प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए, टकराव नहीं।”

अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर श्री मोदी बोले,“कोविड ने हर देश की सीमाओं को उजागर किया है। इससे सीखने के बजाय दुनिया और अधिक विखंडित हो गई है। वैश्विक नियमों को लागू करने में संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन विफल रहे। स्थिरता बनाए रखने के लिए बनाई गई संस्थाएं प्रासंगिकता खो रही हैं। जो लोग कानूनों की अनदेखी करते हैं, उन्हें कोई परिणाम नहीं भुगतना पड़ता।”

प्रधानमंत्री ने कहा,“गुजरात दंगों पर अब राज्य में स्थायी शांति बनी है। गत 24 फरवरी 2002 को मैं पहली बार निर्वाचित प्रतिनिधि बना और 27 फरवरी, 2002 को गोधरा कांड हुआ, जिसने प्रदेश में हिंसा भड़का दी। गुजरात में 2002 से पहले भी 250 से अधिक दंगे हो चुके थे। 1969 का दंगा छह महीने तक चला था। 2002 के दंगे दुखद थे, लेकिन उसके बाद राज्य में स्थायी शांति बनी। सरकार के खिलाफ कई आरोप लगाए गए, लेकिन न्यायपालिका ने दो बार जांच के बाद उन्हें निर्दोष करार दिया।”

श्री मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर कहा,“आरएसएस ने देश के लिए जीना सिखाया, आरएसएस में हमें जो मूल्य सिखाया गया, उनमें से एक यह था कि आप जो भी करें, उसे उद्देश्यपूर्ण तरीके से करें। आप पढ़ाई करते हैं, तो राष्ट्र के लिए योगदान देने के लिए पर्याप्त सीखने के लक्ष्य के साथ पढ़ाई करें। आप व्यायाम करते हैं, तो राष्ट्र की सेवा करने के लिए अपने शरीर को मजबूत बनाने के उद्देश्य से करें। यही हमें सिखाया गया था।”

श्री मोदी ने कहा,“महात्मा गांधी पर बापू सिर्फ 20वीं सदी नहीं, हर सदी के महान नेता हैं महात्मा गांधी सिर्फ 20वीं सदी नहीं हर सदी के महान नेता हैं। जहां तक मोदी का सवाल है मेरे पास एक दायित्व है। लेकिन दायित्व इतना बड़ा नहीं है जितना देश बड़ा है। मेरी ताकत मोदी नहीं, 140 करोड़ देशवासी हैं। मैं जहां भी जाता हूं, वहां मोदी नहीं जाता वहां 140 करोड़ लोगों का विश्वास जाता है। इसलिए मैं दुनिया के किसी नेता से हाथ मिलाता हूं तो मोदी हाथ नहीं मिलाता है। 140 करोड़ लोगों का हाथ होता है। ये सामर्थय मोदी का नहीं भारत का है।”

उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चर्चा करने पर कहा,“श्री ट्रंप साहसी हैं, वह अपने फैसले खुद लेते हैं। ह्यूस्टन में एक प्रोग्राम था हाउडी मोदी। मैं और राष्ट्रपति ट्रंप दोनों वहां थे और स्टेडियम पूरा भरा हुआ था। अमेरिका में इतनी बड़ी भीड़ का इकट्ठा होना ही एक बहुत बड़ा मौका था। मैं भाषण दे रहा था। श्री ट्रंप नीचे बैठकर सुन रहे थे। यह उनका बड़प्पन है। अमेरिका का राष्ट्रपति स्टेडियम में भीड़ के बीच नीचे बैठकर सुन रहा है। मैं भाषण दे रहा हूं। मैं भाषण देने के बाद श्री ट्र्ंप के पास गया और ऐसे ही उनसे कहा कि क्यों न हम दोनों एक साथ इस स्टेडियम का एक चक्कर लगाएं। बहुत सारे लोग हैं यहां चलते हैं और उन्हें धन्यवाद देते हैं। अमेरिकी जीवन में ये बात आपके लिए असंभव सी है कि राष्ट्रपति हजारों की भीड़ में चले, लेकिन श्री ट्रंप बिना एक पल भी इंतजार किए मेरे साथ चल पड़े। श्री ट्रंप के पास साहस है और वह अपने फैसले खुद लेते हैं।”

श्री मोदी ने बचपन के बारे में पूछे जाने पर कहा,“खुद के बारे में नकारात्मकता मेरे सॉफ्टवेयर में नहीं है। मैं स्वभाव से ही बहुत आशावादी व्यक्ति हूं। निराशावाद और नकारात्मकता मेरे सॉफ्टवेयर में नहीं है। बचपन में मेरे घर में कोई खिड़की भी नहीं थी। हमने कभी गरीबी का बोझ फील नहीं किया। मेरे मामा ने मुझे कैनवास के जूते खरीदकर दिए थे। उस पर दाग लग जाते थे। स्कूल से चॉक के टुकड़े लाकर उन्हें घोलकर सफेद जूतों पर पॉलिश कर लेता था।”

उन्होंने कहा कि मुझे कपड़े वगैरह भी ढंग से पहनने की आदत है। हमारे पास प्रेस कराने के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी। मैं तांबे के लोटे में गर्म पानी करके उसे चिमटे से पकड़कर कपड़ों में प्रेस कर लेता था। मैं कभी अकेलापन महसूस नहीं करता हूं। क्योंकि मैं हमेशा 1+1 की थ्योरी को मानता हूं। ये थ्योरी मेरा सात्विक समर्थन करती है। कोई पूछेगा कि यह 1+1 क्या है। इसमें पहला वन मोदी है और दूसरा वन ईश्वर है। मैं अकेला कभी नहीं होता, वो हमेशा मेरे साथ रहता है। मैं हमेशा उसी भाव से काम करता हूं। नर सेवा ही नारायण सेवा है।

श्री मोदी ने क्रिकेट के बारे में पूछे जाने पर कहा,“क्रिकेट पर भारत-पाक मैच रिजल्ट ने बताया कौन बेहतर अगर आप खेल की तकनीक के बारे में कहेंगे तो मैं कोई विशेषज्ञ नहीं हूं। ये बात वही बता सकते हैं जो तकनीक के बारे में जानते हैं। वही बता सकते हैं कि किस प्लेयर की तकनीक अच्छी है और किसकी खराब, लेकिन कई बार परिणाम उस खिलाड़ी के बारे में बोलते हैं। कुछ दिन पहले भारत और पाकिस्तान के बीच एक मैच हुआ था। नतीजे इस बात को बता देते हैं कि कौन सी टीम बेहतर है। इससे हमें पता चलता है कौन बेहतर है।”

उन्होंने फुटबॉल पर कहा,“मध्य प्रदेश के शहडोल में मिनी ब्राजील मध्य प्रदेश का शहडोल आदिवासी जिला है। मैं वहां गया तो करीब 80 से 100 युवाओं ने स्पोर्ट्स यूनिफॉर्म पहनी थी। इनमें कुछ बूढ़े थे। मैं उनके पास गया और पूछा कि आप लोग कहां से हैं तो उन्होंने मुझसे कहा कि हम मिनी ब्राजील से हैं। मैं आश्चर्यचकित रह गया। मैंने उनसे पूछा कि ये मिनी ब्राजील क्या है। उन्होंने बताया कि हम अपने गांव को मिनी ब्राजील कहते हैं। हमारे गांव में चार-पांच पीढ़ियों से लोग फुटबॉल खेल रहे हैं। करीब 80 नेशनल प्लेयर्स हमारे गांव से निकले हैं। हमारा पूरा गांव फुटबॉल को समर्पित है। जब हमारे यहां राष्ट्रीय फुटबॉल समारोह होता है तो आसपास के गांव से करीब 20-25 हजार लोग मैच देखने आते हैं।”

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