राष्ट्रपति को हिंसा की विस्तृत रिपोर्ट भेजेंगे बोस

 वक्फ कानून के खिलाफ प्रायोजित हिंसा पर राज्यपाल गंभीर

 राष्ट्रपति को हिंसा की विस्तृत रिपोर्ट भेजेंगे बोस

हिंसा के पंथ को ताबूत में बंद कर आखिरी कील ठोकनी होगी

मालदा (पश्चिम बंगाल), 18 अप्रैल (एजेंसियां)। वक्फ कानून के खिलाफ पश्चिम बंगाल में हो रहे सत्ता प्रायोजित दंगों को लेकर राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने सख्त रुख अपनाया है। हिंसाग्रस्त इलाकों का दौरा करने के बाद राज्यपाल ने कहा कि वे अपनी विस्तृत रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेजेंगे। राज्यपाल ने कहा, मुर्शिदाबाद और मालदा में जिस तरह हिंसा हुई, उसे कभी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। बोस ने हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में पीड़ितों से मुलाकात की और उनसे घटना का पूरा ब्यौरा लिया।

मुर्शिदाबाद और मालदा जिलों में हिंसा से बड़ी संख्या में महिलाएं प्रभावित हुई हैं। पीड़ित लोगों से मुलाकात करने और हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का पूरा जायजा लेने के बाद प्रदेश के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने हिंसा की घटनाओं को मौत का नंगा नाच बताया। उन्होंने कहा कि हिंसा का रास्ता अपनाने वाली मानसिकता को जड़ से खत्म किए जाने की जरूरत है। बोस ने कहाबंगाल में अलग-अलग जगहों से हिंसा की भयावह खबरें आ रही हैं। हमें हिंसा के पंथ को ताबूत में बंद कर ताबूत में आखिरी कील भी ठोकनी होगी। बंगाल में शांति और सौहार्द बनाए रखने के लिए यह बेहद जरूरी है।

राज्यपाल बोस ने कहामुर्शिदाबाद और मालदा जैसी घटनाएं कभी नहीं होनी चाहिए। बंगाल की सड़कों पर कई जगहों पर मौत का तांडव चल रहा है, इस तरह की हिंसा को कभी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा करने और लोगों की भावनाओं को जानने के बाद उनके पास एक कार्ययोजना होगीजिस पर मिशन मोड में काम किया जाएगा। किसी भी कीमत पर हिंसा के खिलाफ लड़ाई लड़नी होगी।

गौरतलब है कि संसद से पारित हुए वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन के दौरान बंगाल में कई जगहों पर हिंसा हुई। हिंसा पीड़ित सैकड़ों परिवार झारखंड के पाकुड़ जिले में चले गए हैं। कई परिवारों ने मालदा में स्थापित राहत शिविरों में शरण ली है। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय ने केंद्रीय बलों को तैनात करने का आदेश दिया था। कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए कुछ समय के लिए केंद्रीय सुरक्षा बल मुर्शिदाबाद में तैनात रहेंगे। अदालत पीड़ितों के पुनर्वास की निगरानी भी करेगी। मामले में जारी राजनीतिक बयानबाजी को लेकर भी कोर्ट ने सख्ती दिखाई है।

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गौरतलब है कि मुर्शिदाबाद जिले के कई इलाकों में वक्फ कानून के विरोध में बीती 11-12 अप्रैल को हिंसा भड़क गई थी। ये हिंसा सुतीधुलियान और जंगीपुर इलाकों में हुई। इस हिंसा में तीन लोगों की मौत हुई और कई अन्य घायल हुए। धुलियान के मंदिरपाड़ा इलाके में कथित तौर पर कई महिलाओं का उत्पीड़न किया गया। हिंसा के चलते मुर्शिदाबाद में बड़े पैमाने पर विस्थापन हुआ। हिंसा की जांच के लिए नौ सदस्यीय एसआईटी का गठन किया गया है। इस एसआईटी की अध्यक्षता डीआईजी मुर्शिदाबाद रेंज करेंगे। गठित की गई एसआईटी में एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (खुफिया शाखा)दो उपाधीक्षक एक काउंटर इंसर्जेंसी फोर्स (सीआईएफ) से और दूसरा आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) से पांच निरीक्षक (सीआईडी से चार और ट्रैफिक पुलिस से एक सहित)और सुंदरबन पुलिस जिले के तहत साइबर अपराध पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी शामिल हैं।

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मुर्शिदाबाद में इस्लामी हिंसा के कारण 400 से भी अधिक हिंदुओं को पलायन करना पड़ा। देवी-देवताओं की मूर्तियां गढ़ने वाले हरगोविंद दास और उनके बेटे चंदन दास की घर में घुसकर हत्या कर दी गई।

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अधिवक्ता को पीड़ितों से मिलने व बात करने की भी अनुमति मिली है। प्रियंका टिबरेवाल ने बताया कि हाईकोर्ट जांच की निगरानी करेगा। साथ ही केंद्रीय बलों को वहां फ़िलहाल तैनात रखने के लिए कहा गया है। उधर कलकत्ता हाईकोर्ट ने भारतीय जनता युवा मोर्चा को सेव बंगाली हिंदू रैली निकालने की अनुमति दे दी है। शनिवार 19 अप्रैल को नेताजी सुभाष चंद्र बोस के घर और भवानीपुर स्थित श्यामा प्रसाद मुखर्जी के घर तक रैली निकाली जाएगी।

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