आठ साल में 222 अपराधी मारे गए
80 हजार गुंडों को जेल में भरा, 8000 से अधिक का एनकाउंटर
यूपी में अपराध में 85% तक की कमी
लखनऊ, 31 मार्च (एजेंसियां)। उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार के 8 वर्ष पूरे हो चुके हैं। मुख्यमंत्री योगी 2017 से लगातार अपनी पहली प्राथमिकता प्रदेश की कानून व्यवस्था को बताते आए हैं। इस दिशा में उन्हें सफलता भी मिली है। सरकार के 8 वर्ष पूरे होने के साथ ही उत्तर प्रदेश में जघन्य अपराधों में 85% तक की कमी आई है। उनकी सरकार के दौरान पुलिस ने ताबड़तोड़ एनकाउंटर किए हैं।
भाजपा 2017 में हुए चुनावों में सपा के गुंडाराज को खत्म करने का वादा करके सत्ता में आई थी। इसके बाद मुख्यमंत्री बनते ही योगी आदित्यनाथ ने अपना एजेंडा स्पष्ट कर दिया था। तब से लगातार उत्तर प्रदेश में चाहे माफियाओं की सम्पत्तियां जब्त करना हो, या फिर अपराधियों को जेल भेजना, इस पर लगातार काम चल रहा है।
उतर प्रदेश में चोरी, डकैती और अपहरण जैसे अपराधों पर योगी सरकार की सख्ती का सीधा असर पड़ा है। आंकड़े इसकी तस्दीक करते हैं। यूपी सरकार की एक रिपोर्ट कहती है कि अगर 2016 से तुलना की जाए तो उत्तर प्रदेश में ऐसे अपराधों में 85% तक की कमी हुई है। राज्य में 2016 के मुकाबले डकैती मामलों में 85% तक की कमी आई है। लूट के मामले भी 77% तक घट गए हैं। हत्या के मामले भी 41% घटे हैं। सरकार ने बताया है कि दहेज़ हत्याओं में भी राज्य में इसी तरह की कमी देखी गई है। कभी राह चलते लूट के लिए बदनाम पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिले अब सुरक्षित हो चुके हैं।
उत्तर प्रदेश पुलिस ने बताया है कि इसके पीछे पुलिस की लगातार अपराधियों पर कार्रवाई और सीसीटीवी तथा बढ़ी हुई पुलिस गश्त जिम्मेदार हैं। पुलिस का इन्फ्रा मजबूत होना भी इसका एक कारण है। बीते कुछ वर्षों में पुलिस को हाईटेक गाड़ियां मिली हैं, उससे उसकी उपस्थिति बढ़ाने में भी मदद मिली है। उत्तर प्रदेश में बीते 8 वर्षों में अपराध पर शिकंजे के लिए योगी सरकार ने इन्फ्रा मजबूत करने से साथ ही पुलिस को भी छूट दी है। रिपोर्ट बताती है कि बीते 8 वर्षों में अलग-अलग एनकाउंटर में 222 अपराधी मार गिराए गए हैं। इन एनकाउंटर में अपराधी 8118 घायल हुए हैं। एनकाउंटर के डर के चलते कई बार अपराधियों के खुद ही थाने में पहुंचने की तस्वीरें सामने आती रही हैं।
इसके अलावा लगभग 80 हजार अपराधी जेल भी भेजे गए हैं, 900 से अधिक के विरुद्ध एनएसए की कार्रवाई हुई है। एनएसए की कार्रवाई का सामने करने वाले अधिकांश वह अपराधी हैं, जिन्होंने किसी मौके पर मजहबी तनाव फैलाने का प्रयास किया या फिर कोई जघन्य अपराध किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश विधानसभा में स्पष्ट रूप से कहा था कि वह माफिया को मिट्टी में मिला देंगे। 1990 के दशक के बाद उत्तर प्रदेश में अपराध संस्थागत हो गया था। हर क्षेत्र में एक ना एक माफिया ने अपना प्रभुत्व जमा लिया था। यह माफिया अपराध से आगे बढ़ कर आर्थिक साम्राज्य भी खड़ा कर चुके थे। इन माफियाओं के पास अपराध से अर्जित पैसे से बनाई हुई हजारों करोड़ की सम्पत्ति थी। योगी सरकार का हंटर इन माफियाओं के साथ ही इन संपत्तियों पर भी चला है। उत्तर प्रदेश पुलिस ने इन 8 वर्षों के दौरान माफियाओं की 4000 करोड़ से अधिक की सम्पत्ति जब्त कर ली है।
गैंगस्टर एक्ट के अंतर्गत राज्य में 14000 करोड़ की सम्पत्ति जब्त हुई है। 68 माफिया और उनके गैंग के 1400 से अधिक सदस्यों के विरुद्ध 700 से अधिक मुकदमे दर्ज हुए हैं। पुलिस ने इनके 350 से अधिक शस्त्र लाइसेंस भी कैंसल किए हैं। इसके चलते कभी मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद के नाम से काँपने वाले इलाकों में भी अब निवेश आ रहा है। योगी सरकार ने कानून व्यवस्था मजबूत करने के लिए अपराधियों पर कार्रवाई के साथ ही इन्फ्रा मजबूत करने पर भी जोर दिया है। किसी भी पुलिस बल का सबसे बड़ी जरूरत पुलिसकर्मी होते हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस लगातार पुलिसकर्मियों की कमी से जूझती आई है। एक रिपोर्ट के अनुसार, 2017 में उत्तर प्रदेश पुलिस में 2 लाख से अधिक पुलिसकर्मियों की कमी थी। पिछली सरकार की दो बड़ी भर्तियों और हाल ही में सम्पन्न हुई 60 हजार कांस्टेबल भर्ती बाद यह कमी वर्तमान में 50 हजार के आसपास आ गई है। इसे भी खत्म करने के लिए यूपी सरकार ने तय किया है कि वह 28 हजार भर्तियां अप्रैल में लाने जा रही है। इसके बाद जरूरत का लगभग 90% पुलिसबल मौजूद होगा। इससे पुलिस मजबूत होने के साथ ही उत्तर प्रदेश में युवाओं को रोजगार भी मिला है। योगी सरकार ने इस माध्य से 2.16 लाख युवाओं को पक्का रोजगार दिया है। प्रदेश में पुलिसकर्मियों की भर्ती के साथ ही 126 नए थाने बनाए गए हैं। इससे पुलिस की हर इलाके में सुलभता से मौजूदगी हो सकेगी। इसके अलावा 86 नई चौकियां बनाई गई हैं। यूपी-112 के लिए भी प्रदेश में नई स्कॉर्पियो गाड़ियां खरीदी गई हैं।