वाणिज्य विभाग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की मदद से निर्यात बढ़ाने की तैयारी में जुट गया है। एआई की मदद से दुनिया के बाजार में निकलने वाली मांग का पहले पता लग जाएगा और फिर उन देशों को ध्यान में रखकर निर्यात बढ़ाने की तैयारी की जाएगी। निर्यातकों के साथ इन डाटा को शेयर किया जाएगा।
मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक एआई की मदद से वर्तमान में यह पता चल जाएगा कि भविष्य में किन देशों के ग्राहकों को कितने माल की जरूरत होगी। इस प्रकार का अनुमान प्राप्त होने से निर्यातक पहले से अपनी तैयारी कर सकेंगे और इससे बर्बादी को भी रोका जा सकेगा। अभी मुख्य रूप से 30 प्रकार की वस्तुओं का ही निर्यात किया जाता है। एआई की मदद से कई ऐसी वस्तुओं के निर्यात की संभावना का पता चल सकेगा जिसका अभी भारत निर्यात नहीं करता है।
लागत का अनुमान
एआई की मदद से निर्यातक सही समय पर कच्चे माल की खरीदारी कर सकेंगे। कंटेनर की मांग कैसी रहने वाली है और लाजिस्टिक लागत का पहले ही अनुमान लगाया जा सकता है। कस्टम क्लीयरेंस, आर्डर ट्रैकिंग जैसे काम में भी एआई की मदद ली जा सकती है।
चीन से मुकाबला
निर्यातकों ने बताया कि वैश्विक व्यापार से जुड़ी दुनिया की कई बड़ी निर्यातक कंपनियां निर्यात-आयात के लिए एआई का इस्तेमाल शुरू कर चुकी है। भारत में भी इस प्रकार की पहल हो चुकी है। गारमेंट निर्यातक ललित ठुकराल ने बताया कि चीन जैसे देश से प्रतिस्पर्धा करने के लिए निर्यात में एआई की मदद जरूरी है। सरकार के स्तर पर भी इस प्रकार की तैयारी हो रही है।